देवभूमिः हिमाचल प्रदेश

मुख्य समाचार ३१ मार्च २००९

हमीरपुर का किला परफारमेंस होगी झंडी का आधार
मुख्यमंत्री का गृह संसदीय क्षेत्र होने तथा 17 में से 11 विधायक भाजपा के होने से पार्टी इसे अपने लिए लाभप्रद मान रही है परंतु प्रदेश मंत्रिमंडल में एक पद पर अपनी चुनौती दे रहे ऊना जिला के विधायकों के समक्ष सबसेबड़ी चुनौती लीड़ बरकरार रख उसे बढ़ाने की रहेगी। हमीरपुर जिला में भी पार्टी सभी विधायकों से बढ़त की उम्मीद रखेगी परंतु कांग्रेस प्रत्याशी हमीरपुर के बड़सर से होने के कारण सबसे बड़ी चुनौती जिलाध्यक्ष बलदेव शर्मा के समक्ष रहेगी। कांग्रेस का मानना है कि हमीरपुर से 18 साल बाद प्रत्याशी देने के चलते भाजपा को झटका लगेगा। उम्मीदवार का रसूख मुख्यमंत्री के बेटे अनुराग ठाकुर का मृदुभाषी व मिलनसार रवैया तथा सरकार में उनकी पहुंच उनका वजन बढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त खेल जगत में उनकी सक्रियता तथा वर्तमान में क्रिकेट संघ के अतिरिक्त ओलंपिक संघ में महासचिव के पद पर उनकी भूमिका युवाओं में भी उनका बेहतर क्रेज दर्शाती है। महज नौ माह के छोटे से कार्यकाल में जनता से उनका निरंतर संपर्क तथा सांसद निधि का पूर्ण आवंटन उनके हित में जा रहा है। अनुराग के मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी मदन लाल का नया चेहरा होने के अतिरिक्त पार्टी में ही उनके पक्ष में संदेह का माहौल हाल तक उनकी छवि को प्रभावित करता दिख रहा है।
कांगड़ा भाजपा की राजनीति उफान पर
धर्मशाला भाजपा नेत्री मालविका पठानिया के इस्तीफे के बाद कांगड़ा जिले में भाजपा की राजनीति फिर गर्मा गई है। इससे पहले बैजनाथ में पूर्व विधायक दूलो राम को लेकर पार्टी में उठापठक चल रही थी। अब नूरपुर में मालविका पठानिया ने इस्तीफा देकर एकजुटता को लेकर कई सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। आलम यह है कि बैजनाथ में कभी शांता की आंख के तारे रहे दूलो राम के विधानसभा क्षेत्र में उन्हें हार के द्वार तक पहुंचाने वाले नेताओं को भाजपा ने चुनाव क्षेत्र की कमान संभाल दी है। वहीं विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरोध में नूरपुर से चुनाव मैदान में उतरे राकेश पठानिया को चुनाव समन्वय समिति का सदस्य बनाकर बवाल खड़ा कर दिया है। बैजनाथ में दूलो राम को हाशिए पर धकेल दिया गया है, लेकिन नूरपुर में भाजपा ने आजाद विधायक राकेश पठानिया को भाजपा समन्वय समिति का सदस्य बनाकर उनके व्यक्तिगत वोट बैंक को समेटने का तीर छोड़ा। भाजपा की नूरपुर में मजबूरी यह भी रही है कि राकेश पठानिया को भाजपा से निष्कासित करने के बाद भी उन्होंने विधानसभा चुनाव में आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़कर 4165 मतों के अंतर से कांग्रेस के उम्मीदवार अजय महाजन को पराजित किया था। भाजपा उम्मीदवार मालविका पठानिया केवल 4003 मत लेकर चौथे स्थान पर रही थी। राकेश पठानिया को 29,128 मत प्राप्त हुए थे। चुनाव के दौरान भी राकेश पठानिया ने शुद्ध भाजपा का नारा दिया था, जिससे वह पार्टी का पूरा वोट बैंक ले उड़े थे। जीत के बाद भी उन्होंने समर्थन धूमल सरकार को दिया था। इसके चलते भाजपा की संसदीय चुनाव में राकेश पठानिया को साथ लेकर चलने की एक जरूरत बन गई थी। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने के बाद हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद अभी तक राकेश पठानिया भाजपा में संवैधानिक तौर पर नहीं लौटे थे, जिसके तौर पर नूरपुर में उनके विरोध में भाजपा नेत्री मालविका पठानिया ने विरोध दर्ज करते हुए जिला महिला मोर्चा के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया है। बैजनाथ व नूरपुर में भाजपा के राजनीतिक खेल से कांग्रेस को कुछ राहत मिली है। राकेश पठानिया संसदीय चुनाव में भाजपा के लिए कितने वोट जुटा पाते हैं, यह उनके भाजपा में संवैधानिक तौर पर लौटने का द्वार खोलेंगे। बैजनाथ में दूलो की अनदेखी भाजपा को कितनी महंगी पड़ती है, इसका आभास भी संसदीय चुनाव में मिलेगा।
(सौजन्य दैनिक जागरण)